भारत की राष्ट्रपति ने भुवनेश्वर में नए न्यायिक अदालत परिसर का उद्घाटन किया

राष्ट्रपति भवन : 05.12.2024

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 5 दिसंबर, 2024 को ओडिशा के भुवनेश्वर में नए न्यायिक अदालत परिसर का उद्घाटन किया।

सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यदि न्याय समय पर न मिले, तो यह न्याय नहीं मिलने के बराबर ही है। स्थगन की संस्कृति के कारण सबसे ज्यादा नुकसान गरीबों को होता है। उनके पास बार-बार अदालतों के चक्कर लगाने के लिए न तो धन है और न ही पर्याप्त जनशक्ति है। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि आम लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए, सभी हितधारक स्थगन की इस संस्कृति को समाप्त करने का मार्ग खोजने के प्रयासों को प्राथमिकता देंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि आम जनता के लिए अदालती भाषा भी एक बाधा है। वे यह समझने में अक्षम रहते हैं कि वकील उनके पक्ष में क्या दलील दे रहे हैं अथवा न्यायाधीश क्या निर्णय दे रहे हैं। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि न्यायालय के निर्णयों का अब ओड़िया और संथाली भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है और ये अनूदित निर्णय उच्चतम न्यायालय तथा उड़ीसा उच्च न्यायालय की वेबसाइटों पर उपलब्ध हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज महिला नीत विकास पर बल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्रों की तरह न्यायपालिका में भी महिलाओं की भागीदारी में बढ़ोतरी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ओडिशा न्यायिक सेवा में 48 प्रतिशत महिला अधिकारी हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले समय में महिला अधिकारियों की संख्या में वृद्धि होगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि आम नागरिक बिना किसी भय के न्यायिक प्रणाली से कैसे जुड़ें, यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। प्रायः लोग अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों के सामने घबरा जाते हैं। अदालतों का माहौल संवेदनशील होना जरूरी है ताकि आम नागरिक अपनी बात खुलकर रख सके।

राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुई कि नए न्यायालय परिसर का निर्माण वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि न्यायालय परिसर में उपलब्ध आधुनिक सुविधाएं न्यायिक बिरादरी के सुचारू रूप से काम करने में सहायक होंगी।

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